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“क्या छिंदवाड़ा चुनाव में मुद्दों पर ज्यादा ध्यान दिया जा रहा है, या नेताओं की प्रतिष्ठा पर?…जानिए पूरी ख़बर

Edited by ; Jyoti Dewangan

छिंदवाड़ा लोकसभा चुनाव 2024; इस लोकसभा चुनाव में जितने भी राजनैतिक दलों है उन्होंने पूरी ताकत झोंक दी है. वही ख़ासतौर बात करे तो भाजपा और कांग्रेस ये दोनों राजनैतिक पार्टियों के नाम चर्चित है. वही मध्य प्रदेश की सबसे चर्चित माने जाने वाली छिंदवाड़ा ऐसी इकलौती लोकसभा सीट है, जिस पर 2019 के आम चुनाव में कांग्रेस ने जीत दर्ज की थी. इस बार भाजपा ने मिशन 29 यानी प्रदेश की सभी सीटों को जीतने के लिए जोरोशोरों से प्रचार किया. प्रचार के आखिरी दिन तक दिग्गजों के दौरे चलते रहे.

भाजपा ने जिस सीट के लिए सबसे ज्यादा जोर आजमाइश की है. वह कांग्रेस के सीनियर नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है. पिछले चुनाव की तरह कमलनाथ के बेटे नकुलनाथ ही चुनावी मैदान में उतरे हैं, लेकिन वे पिता के चेहरे पर चुनाव लड़ रहे हैं. कमलनाथ समेत पूरी कांग्रेस ने प्रदेश में इकलौती साख को बचाने के लिए ऐड़ी चोटी का जोर लगा दिया है. 

छिंदवाड़ा को माना जाता है कमलनाथ का गढ़
कमलनाथ लोकसभा सीट को कमलनाथ का गढ़ कहा जाता है. 1997 उपचुनाव को छोड़ दिया जाए तो यहां 1980 से नाथ परिवार का कब्जा है. कमलनाथ खुद यहां से 9 बार सांसद रह चुके हैं. 1996 में हवाला कांड में कमलनाथ का नाम आने पर पार्टी ने कमलनाथ की पत्नी अलका नाथ को मैदान में उतारा. इस चुनाव में अलका नाथ की भी जीत हुई. हालांकि, 8 महीने बाद अलका नाथ के इस्तीफा के चलते हुए उपचुनाव में कमलनाथ पूर्व सीएम सुंदरलाल पटवा से हार गए. यह कमलनाथ की छिंदवाड़ा से पहली और इकलौती हार थी.

 

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