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पालम एयरपोर्ट पर उतरा विशेष विमान, तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी से खुल सकते हैं 26/11 के राज

 

How India achieved Tahawwur Rana extradition NIA visits, keeping in jail,  assurances to US and childhood friend Headley दनादन दौरे, मौन मनौव्वल; यूं  ही नहीं हुआ तहव्वुर राणा का प्रत्यर्पण, भारत को

Jyoti Dewangan; (10-04-2025, 15;43)

Palam News; मुंबई आतंकी हमले के आरोपी तहव्वुर हुसैन राणा को आखिरकार भारत लाया जा चुका है, जिससे इस बहुचर्चित मामले में एक नई दिशा मिलने की संभावना जताई जा रही है। अमेरिका से प्रत्यर्पण की लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद तहव्वुर राणा को एक विशेष विमान के जरिए भारत लाया गया। यह विमान दिल्ली के पालम एयरपोर्ट पर उतरा, जहां से उसे भारी सुरक्षा व्यवस्था के बीच सीधे राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) के मुख्यालय ले जाया गया। तहव्वुर राणा की गिरफ्तारी भारत के लिए बेहद अहम मानी जा रही है, क्योंकि वह 26/11 मुंबई हमलों की साजिश रचने और उसमें सक्रिय भूमिका निभाने वाले मुख्य आरोपियों में से एक माना जाता है।

तहव्वुर राणा पाकिस्तानी मूल का कनाडाई नागरिक है और लंबे समय तक अमेरिका में रहा। वह डेविड कोलमैन हेडली का घनिष्ठ सहयोगी रहा है, जिसने 26/11 हमलों की योजना को अंजाम देने के लिए पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा के साथ मिलकर भारत में रेकी और अन्य गतिविधियाँ की थीं। हेडली ने भारत में कई स्थानों की टोह ली थी, जिनमें से अधिकांश पर बाद में आतंकवादी हमले हुए। तहव्वुर राणा पर आरोप है कि उसने हेडली को भारत की यात्रा के लिए सुविधाएं प्रदान कीं और उसकी रेकी के लिए जरूरी कवर और दस्तावेज उपलब्ध कराए। इससे यह स्पष्ट होता है कि वह केवल एक माध्यम नहीं, बल्कि हमले की पूर्व तैयारी में सक्रिय भागीदार रहा है।

एनआईए की टीम तहव्वुर राणा से पूछताछ की प्रक्रिया शुरू कर चुकी है। माना जा रहा है कि उससे कई ऐसे महत्वपूर्ण तथ्य सामने आ सकते हैं, जो अब तक अज्ञात थे या जिनकी पुष्टि की आवश्यकता थी। विशेष रूप से पाकिस्तान के आतंकवादी संगठनों और खुफिया एजेंसी ISI के साथ उसकी मिलीभगत को लेकर जानकारी हासिल की जा सकती है। साथ ही, यह भी जानने की कोशिश की जाएगी कि हमले से पहले और बाद में किस-किस स्तर पर किसे जानकारी थी और किन लोगों ने मदद की। तहव्वुर राणा की गवाही भारत के लिए अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान के खिलाफ सबूत पेश करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है।

एनआईए की पूछताछ के बाद तहव्वुर राणा को तिहाड़ जेल में रखा जाएगा। उसकी सुरक्षा को लेकर विशेष इंतजाम किए गए हैं, क्योंकि उसकी जान को गंभीर खतरा हो सकता है। उसे एक अलग हाई-सिक्योरिटी सेल में रखा जाएगा, जहां सीसीटीवी कैमरों की निगरानी के साथ-साथ चौबीसों घंटे सुरक्षाकर्मियों की तैनाती होगी। जेल प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं होनी चाहिए।

तहव्वुर राणा की भारत में मौजूदगी न केवल जांच एजेंसियों के लिए एक बड़ी सफलता है, बल्कि पीड़ितों और उनके परिवारों के लिए न्याय की दिशा में एक अहम कदम भी है। 26/11 के घाव अब भी भारत की स्मृति में ताजे हैं, और इस मामले में नए सबूत व गवाहियाँ आतंकवाद के खिलाफ भारत की लड़ाई को और मजबूती प्रदान करेंगी। आने वाले दिनों में तहव्वुर राणा से होने वाली पूछताछ के परिणाम इस केस में कई परतों को उजागर कर सकते हैं, जो अब तक अंधेरे में थीं।

कौन है तहव्वुर राणा

26 नवंबर, 2008 की रात को 10 चरमपंथियों ने मुंबई की कई इमारतों पर एक साथ हमला किया था. इस हमले में 164 लोग मारे गए. कार्रवाई में नौ चरमपंथी भी मारे गए.

भारत का आरोप है कि ये चरमपंथी पाकिस्तान की धरती पर सक्रिय चरमपंथी संगठन लश्कर-ए-तैय्यबा से जुड़े थे. लेकिन इस हमले में अजमल कसाब बच गया, जिसे नवंबर 2012 में फांसी दे दी गई.

भारतीय एजेंसियों की ओर से पाकिस्तानी-अमेरिकी नागरिक डेविड कोलमैन हेडली के ख़िलाफ़ जारी जाँच में एक नाम बार-बार आ रहा था, और वो नाम था तहव्वुर हुसैन राना.

शिकागो में कड़ी सुरक्षा के बीच चार हफ़्ते तक चले मुक़दमे के दौरान राना के बारे में कई जानकारियाँ सामने आई थीं.

इस मुक़दमे की सबसे अहम बात ये रही कि हेडली तहव्वुर राना के ख़िलाफ़ सरकारी गवाह बन गया.

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